बिहार का इतिहास
बिहार का इतिहास भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण इतिहासों में से एक है। यह राज्य न केवल भारत, बल्कि एशिया और दुनिया के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। बिहार का इतिहास अत्यधिक समृद्ध और विविधतापूर्ण है, जिसमें धर्म, संस्कृति, राजनीति, और समाज के कई पहलुओं का योगदान है। इस लेख में हम बिहार के इतिहास के विभिन्न कालखंडों, घटनाओं, और प्रमुख व्यक्तित्वों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
प्राचीन इतिहास
1. प्रारंभिक मानव सभ्यता
बिहार क्षेत्र में प्राचीन सभ्यताओं का उदय हुआ। यहां के कई इलाकों में प्राचीन काल के मानव बसने के प्रमाण मिले हैं, जैसे कि राजगीर और कैमूर के पुरातात्विक स्थलों पर। ये स्थान प्राचीन मानव सभ्यता के प्रारंभिक चरणों के संकेत प्रदान करते हैं।
2. मगध साम्राज्य (6वीं सदी ईसा पूर्व - 4थी सदी ईसा पूर्व)
बिहार का इतिहास सबसे पहले मगध साम्राज्य से जुड़ा हुआ है। मगध राज्य गंगा और सोन नदियों के संगम पर स्थित था, और यह भारत का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र था।
- बिम्बिसार (543–491 ईसा पूर्व) और अजातशत्रु (491–460 ईसा पूर्व) जैसे शासकों ने इस साम्राज्य को शक्तिशाली बनाया।
- मगध के प्रमुख शहर थे पाटलिपुत्र (आज का पटना) और राजगीर।
- बुद्ध और महावीर दोनों का जन्म और शिक्षा यहाँ हुई, जो इस राज्य को धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाता है। बोधगया में गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था, और वैशाली में महावीर का जन्म हुआ था। ये दोनों स्थल आज भी धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान हैं।
3. मौर्य साम्राज्य (322 ईसा पूर्व - 185 ईसा पूर्व)
बिहार को भारत के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य का गढ़ माना जाता है। चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की नींव रखी और पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाई।
- सम्राट अशोक (268–232 ईसा पूर्व) ने मौर्य साम्राज्य को अपने साम्राज्य के सबसे बड़े विस्तार तक पहुँचाया। अशोक ने बौद्ध धर्म को राज्य धर्म के रूप में अपनाया और पूरे एशिया में बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
- अशोक के शिलालेख आज भी पाटलिपुत्र और अन्य स्थानों पर पाए जाते हैं।
4. मगध साम्राज्य (6वीं सदी ईसा पूर्व - 4थी सदी ईसा पूर्व) (320 ई - 600 ई)
गुप्त साम्राज्य को भारतीय इतिहास का "स्वर्ण युग" माना जाता है। इस साम्राज्य में चंद्रगुप्त प्रथम और समुद्रगुप्त जैसे महान शासकों का योगदान था।
- बिहार में गुप्त साम्राज्य का प्रमुख केंद्र पाटलिपुत्र था। इस युग में कला, विज्ञान, गणित, और साहित्य में अभूतपूर्व उन्नति हुई।
- कालिदास, आर्यभट्ट, और वासुदेव जैसे महान विद्वानों और काव्यकारों ने इस काल में योगदान किया।
5. पाल साम्राज्य (8वीं - 12वीं सदी)
पाल साम्राज्य ने 8वीं सदी से 12वीं सदी तक बिहार और बंगाल में शासन किया। इस साम्राज्य ने बौद्ध धर्म के संरक्षण और प्रोत्साहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- विक्रमशिला विश्वविद्यालय और नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण पाल साम्राज्य के दौरान हुआ, जो उस समय के प्रमुख शिक्षा केंद्र थे।
मध्यकालीन इतिहास
1. दिल्ली सल्तनत (12वीं - 14वीं सदी)
12वीं सदी में दिल्ली सल्तनत ने बिहार में अपना प्रभाव स्थापित किया। बख्तियार खिलजी ने 12वीं सदी में बिहार पर आक्रमण किया और पाटलिपुत्र को जीतकर इसे दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बना लिया। इस दौरान बिहार में मुस्लिम शासन का आगमन हुआ, और यहां की संस्कृति और समाज पर प्रभाव पड़ा।
2. मुघल साम्राज्य (16वीं - 17वीं सदी)
16वीं सदी में बाबर और फिर अकबर के नेतृत्व में मुघल साम्राज्य ने बिहार पर कब्जा किया। मुघल शासकों ने यहाँ के प्रशासन और कला में सुधार किए।
- मुघल काल में पाटलिपुत्र को पुनः एक प्रमुख प्रशासनिक और व्यापारिक केंद्र बनाया गया।
- शेर शाह सूरी, जो मुघल साम्राज्य से पहले बिहार के शासक थे, ने सड़कों का निर्माण किया, सिक्के जारी किए और प्रशासनिक सुधार किए, जिनका असर बाद के वर्षों तक देखा गया।
औपनिवेशिक काल
1. ब्रिटिश साम्राज्य का बिहार पर प्रभाव (18वीं - 19वीं सदी)
18वीं सदी के मध्य में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बिहार पर नियंत्रण स्थापित किया और यह बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा बन गया।
- ब्रिटिश शासन ने बिहार में न केवल शोषण किया, बल्कि यहाँ के कृषि क्षेत्र और सामाजिक संरचना को भी प्रभावित किया।
- नलिनकंठ और चंपारण सत्याग्रह (1917) जैसे आंदोलनों का जन्म हुआ, जहां महात्मा गांधी ने भारतीय किसानों की मदद के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया। चंपारण सत्याग्रह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण घटना माना जाता है।
2. स्वतंत्रता संग्राम में बिहार का योगदान
बिहार ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- सुभाष चंद्र बोस, जयप्रकाश नारायण, और लालू प्रसाद यादव जैसे नेता बिहार के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे।
- स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार के लोग ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलनों में शामिल हुए।
स्वतंत्रता के बाद
1. पार्टी राजनीति और सामाजिक बदलाव (1947-1970)
स्वतंत्रता के बाद, बिहार में कई सामाजिक और राजनीतिक बदलाव हुए।
- कर्पूरी ठाकुर और लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं ने बिहार में सामाजिक न्याय के सिद्धांत को बढ़ावा दिया।
- लालू प्रसाद यादव ने राजद (राष्ट्रीय जनता दल) का गठन किया और बिहार में जातिवाद और सामाजिक न्याय को प्रमुख मुद्दे के रूप में सामने रखा।
2. नीतीश कुमार का शासन (2005- वर्तमान)
नीतीश कुमार के शासनकाल में बिहार में कई सुधार हुए, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण और प्रशासनिक सुधार शामिल हैं।
- सुशासन बाबू के नाम से प्रसिद्ध नीतीश कुमार ने बिहार को अपराध मुक्त बनाने के लिए कड़े कदम उठाए और राज्य में सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में काम किया।
- बिहार में पानी और बिजली की समस्या, शिक्षा में सुधार और आवासन योजना के तहत कई योजनाएँ शुरू की गई।
समकालीन बिहार
आज बिहार विकास के कई क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन साथ ही यहाँ कई सामाजिक और राजनीतिक समस्याएं भी मौजूद हैं। जातिवाद, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं अभी भी बिहार में महत्वपूर्ण मुद्दे बने हुए हैं। लेकिन बिहार के लोग विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।
निष्कर्ष
बिहार का इतिहास न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के इतिहास में एक प्रमुख स्थान रखता है। यह राज्य प्राचीन समय से लेकर वर्तमान तक राजनीति, धर्म, समाज और संस्कृति में अपना योगदान देता रहा है। चाहे वह मगध साम्राज्य हो, मौर्य साम्राज्य के समय का सम्राट अशोक या आधुनिक नीतीश कुमार का सुशासन, बिहार ने हर कालखंड में खुद को पुनर्निर्मित किया और भारतीय समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
No comments:
Post a Comment